बिजली ने इन महीनों में आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान किया है। गर्मी और उस पर से बिना बिजली के समय गुजारना किसी सजा से कम नहीं रहा है। साल दर साल बिजली व्यवस्था और मजबूत होने की बजाय और खराब होती गई है। पूरे महीने गुस्साए लोगों ने कभी निगम दफ्तरों के चक्कर लगाए तो कभी देर रात बिजली घर पर जमा हो गए। सवाल यह है कि मई में लगातार बारिश से सिस्टम ओवरलोड नहीं हुआ तो फिर फाल्ट-ट्रिपिंग से इतनी परेशानी क्यों हुई? शहर में ही बिजली घंटों परेशान कर रही है, जबकि गांवों में कई-कई दिनों तक बिजली नहीं आती। पूरे मई में जो स्थिति रही, उससे सबक नहीं लिया तो जून-जुलाई में भी बिजली परेशान करेगी। क्या सामग्री भी घटिया है? इस बार पहली बारिश पांच मई को हुई थी। इसके बाद पांच-सात दिन के अंतराल पर बारिश का क्रम जारी रहा। फिर भी बिजली लाइनों में अहम भूमिका निभाने वाले इंसुलेटर फेल हो रहे हैं, जबकि माना जाता है कि एक बारिश के बाद व्यवस्था दुरुस्त हो जाती है और बार-बार फाल्ट नहीं आते। क्या यह सामग्री भी घटिया है?
क्या मौसम जिम्मेदार है?
मई में बिजली व्यवस्था चरमराने के बारे में जब हमने बिजली निगम के इंजीनियरों से बात की तो उन्होंने मौसम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मई महीने में बारिश हुई, जिससे समस्या आई। अगर मानसून शुरू होने पर बारिश का यही पैटर्न रहता तो फॉल्ट-ट्रिपिंग की इतनी समस्या नहीं होती।
निगम का कुप्रबंधन
- पिछले कुछ महीनों में तकनीकी कर्मचारियों को मीटर रीडिंग और स्पॉट बिलिंग के काम में लगाया गया। ऐसे में निगम के पास कोई दक्ष तकनीकी कर्मचारी नहीं है।
- बिजली निगम का ज्यादातर काम तकनीकी है, जिसे निजी हाथों में सौंप दिया गया है। पहले बिजली घर सौंप दिए और अब शिकायत निवारण भी निजी हाथों में है।
- पहले जब तकनीकी कर्मचारी किसी शिकायत का समाधान करने जाते थे तो वे समस्या से जुड़ी भविष्य की संभावनाओं का फीडबैक लेकर काम करते थे।
- अब समस्या समाधान के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं का फीडबैक भी नहीं लिया जा रहा है, जिससे एक ही जगह पर बार-बार समस्या आ रही है।
- बिजली लाइनों, ट्रांसफार्मरों सहित तकनीकी सामग्री की लाइफ को ध्यान में रखते हुए प्री-मानसून मेंटेनेंस नहीं किया गया, इसलिए बार-बार दिक्कतें आ रही हैं।
- पिछले कुछ दिनों में 11 केवी लाइनों का प्री-मानसून मेंटेनेंस किया गया है, लेकिन प्रतिदिन होने वाले छोटे-मोटे मेंटेनेंस कार्य पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
- पहले प्रत्येक उपखंड में शिफ्ट के अनुसार 4 कर्मचारियों की टीम के अलावा 5 कर्मियों की विशेष टीम काम करती थी, जो अब नहीं है।
जानिए स्थिति
शहर में 08 बिजली उपखंड हैं
02 उपखंड भीतरी शहर में हैं
06 उपखंडों में ज्यादा समस्या
03 उपखंडों में ज्यादा खराब हालात
ये बोले शहरवासी
बिजली की समस्या से काफी परेशानी हो रही है। आए दिन बिजली चली जाती है और हमें शिकायत करनी पड़ती है। हल्की हवा चलते ही बिजली चली जाती है। गर्मी में स्थिति और खराब हो जाती है।
परितोष पुरोहित, चिकलवास
बिजली कभी भी चली जाती है। रात में फाल्ट के कारण गुल हुई बिजली सुबह तक बहाल नहीं हो पाती। मनवाखेड़ा-हिरणमगरी क्षेत्र में ज्यादा समस्या है। यह रोज की समस्या हो गई है।
चर्चिल जैन, श्रीराम विहार सेक्टर-4
दिन में बिजली गुल हो जाए तो व्यापारी परेशान होते हैं और रात में बिजली गुल हो जाए तो सोना भी मुश्किल हो जाता है। बारिश के मौसम में ज्यादा परेशानी होती है, लेकिन बिना बारिश के भी समाधान नहीं होता।
प्रेम ओबरावाल, संस्थापक, नीमचखेड़ा व्यापार मंडल
भीतरी शहर में जहां भूमिगत लाइनें हैं और पेड़ गिरने की समस्या नहीं है, वहां भी बार-बार बिजली गुल हो रही है। इंजीनियरों से शिकायत करते हैं। हर बार वे यही कहते हैं कि दूसरी तरफ से बिजली कटी है।
पुरुषोत्तम सुखवाल, इलाजी का नीम, गणेशघाटी
दिन हो या रात, कभी भी बिजली कट जाती है। शनिवार को भी पूरी रात बिजली नहीं कटी। शिकायत केंद्र पर कॉल रिसीव नहीं होती। देर रात फतहपुरा स्थित केंद्र पर जाते हैं तो कोई नहीं मिलता। रवींद्र सिंह चौहान, बेदला बिजली की समस्या ने हमें बुरी तरह से परेशान कर रखा है। हर घर में इन्वर्टर की सुविधा नहीं है। बिजली कटने पर घर के काम प्रभावित होते हैं और गर्मी में समय गुजारना मुश्किल हो जाता है।
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