उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में एक प्राचीन बावड़ी की खुदाई के दौरान एक चिंताजनक दृश्य सामने आया है, जिसके कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम को कार्य रोकना पड़ा। इस बावड़ी की खुदाई में जो रहस्यमय घटनाएं हुईं, उन्होंने पुरातत्व विभाग को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
खुदाई में सामने आए खतरे
लक्ष्मणकुंज इलाके में स्थित इस बावड़ी की खुदाई काफी समय से चल रही थी। जब ASI की टीम गहरे तल तक पहुंची, तो उन्हें दूसरे तल पर कई खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ा। यहां ऑक्सीजन की कमी और गर्म धुएं के निकलने की घटनाएं देखी गईं। इसके अलावा, बावड़ी के अंदर से अजीब गंध भी आ रही थी, जो संभावित गैस रिसाव का संकेत दे रही थी। इन खतरनाक परिस्थितियों के चलते ASI ने खुदाई का कार्य तुरंत रोकने का निर्णय लिया।
गैस रिसाव की गंभीरता
सूत्रों के अनुसार, बावड़ी के दूसरे तल से अचानक गैस का रिसाव शुरू हो गया था। ASI ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की, क्योंकि यह श्रमिकों के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता था। टीम ने तुरंत श्रमिकों को बाहर निकाल लिया और आगे की खुदाई को रोक दिया। अब, यह कार्य पूरी सुरक्षा के साथ आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
यह बावड़ी राजा आत्माराम द्वारा निर्मित एक प्राचीन जल संरचना है, जो लंबे समय तक गुमनामी में रही। स्थानीय निवासियों द्वारा अतिक्रमण और मलबे के कारण इसका अस्तित्व दबा रहा। अब जब इसकी खुदाई की जा रही है, तो इसके अंदर से कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं, जो इस ऐतिहासिक स्थल की महत्ता को और बढ़ा रहे हैं।
खुदाई में तकनीकी चुनौतियां
कौशल किशोर वंदे मातरम, जो इस बावड़ी के मुद्दे के शिकायतकर्ता हैं, ने बताया कि खुदाई में कई तकनीकी और सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। बावड़ी के अंदर की दूसरी मंजिल पर ईंटों का एक हिस्सा टूट चुका है, जिससे दीवार गिरने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। इस कारण ASI ने खुदाई को और अधिक सतर्कता से करने का निर्णय लिया है।
ASI की निगरानी में आगे का कार्य
ASI ने स्पष्ट किया है कि अब बावड़ी के अंदर जाना जोखिम भरा है और आगे की खुदाई केवल उनकी निगरानी में ही की जाएगी। सुरक्षा के दृष्टिकोण से, ASI के विशेषज्ञों की टीम अब इस बावड़ी के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए आगे का कार्य करेगी।
भविष्य की योजनाएं
बावड़ी की खुदाई के दौरान मिले नए तथ्यों ने पुरातात्त्विक जगत में हलचल मचा दी है। इस स्थल की रहस्यमय परिस्थितियों और ऐतिहासिक महत्व के चलते अब नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। ASI अब इसे पूरी तरह से सुरक्षित करने और शोध कार्य को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।
निष्कर्ष
संभल के चंदौसी में स्थित बावड़ी की खुदाई ने न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर किया है, बल्कि सुरक्षा और सावधानी के महत्व को भी सामने लाया है। ASI की सतर्क निगरानी में अब इस बावड़ी की खुदाई होगी, और उम्मीद है कि इसके जरिए हम अपने इतिहास के और भी अनमोल रत्नों को खोज पाएंगे।
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