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पाकिस्तान ने ISIS स्टाइल में भारत के ऊपर भेजे थे सैकड़ों ड्रोन, सामने आया कनेक्शन, जानें क्यों है बड़ा खतरा

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इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच इसी महीने की शुरुआत में भीषण सैन्य टकराव हुआ, जो 10 मई की शाम संघर्ष विराम के साथ खत्म हुआ। दो परमाणु सम्पन्न देशों के बीच हुआ यह टकराव पिछले किसी भी टकराव से बहुत अलग था। इस बार पारंपरिक प्रणालियां जैसे टैंग, अग्रिम मोर्च इस कार्रवाई का हिस्सा नहीं थे। इस बार का युद्ध हवाई थी, जिसमें ड्रोन, मिसाइलें और फाइटर जेट और एयर डिफेंस ने अपनी भूमिका निभाई। तकनीक के इस्तेमाल वाले इस युद्ध में भारत हावी रहा, लेकिन पाकिस्तान की जिस चीज ने सबका ध्यान खींचा, वह बड़े पैमाने पर सस्ते ड्रोन का इस्तेमाल करना था। पाकिस्तान ने भेजे थे भारत के खिलाफ सैकड़ों ड्रोनऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को सटीक निशाना बनाया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ बड़ा ड्रोन हमला बोला, जिसमें सैकड़ों ड्रोन शामिल थे। भारत ने भी ड्रोन भेजे, लेकिन छोटे पैमाने पर, क्योंकि यह तकनीकी और पारंपरिक श्रेष्ठता पर निर्भर था। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि पारंपरिक हवाई श्रेष्ठता के तहत भी, ग्रे जोन युद्ध उपकरण घुसपैठ करने में सक्षम हो सकता है।ग्रे-जोन युद्ध अंतरराष्ट्रीय सैन्य उद्योग के भीतर एक सक्रिय उद्योग है। यह काफी हद तक मध्यम शक्तियां हैं, जो इसमें भारी निवेश कर रही हैं। तुर्की, इजरायल और ईरान इस प्रकार की प्रणालियों में आगे रहने वाले देश हैं। छोटे और मध्यम आकार के देश, जो महंगी वायु सेना का खर्च नहीं उठा सकते हैं, वे अपने फ्रंट लाइन उपकरण के रूप में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं। इन सस्ते ड्रोन के खिलाफ बड़ी प्रणाली का इस्तेमाल एक मुश्किल काम है, जो इनके खतरे को दिखाता है। पाकिस्तान को मिले तुर्की से ड्रोनड्रोन इंडस्ट्री में तुर्की काफी आगे निकल गया है, जिसकी 20 से अधिक कंपनियों ने इन तकनीकों में निवेश किया है। इनमें बायकर सबसे सफल है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और 25 अन्य देश इसके विभिन्न उत्पादों के ज्ञात संचालक हैं, जिनमें लोकप्रिय बायरकतर टीबी-2 सशस्त्र ड्रोन शामिल है। पाकिस्तान ने भारत पर जिन ड्रोन से हमला किया, वे तुर्की में ही बने थे। पाकिस्तान के ड्रोन हमले का ISIS कनेक्शनपाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जो किया वो ठीक उसी तरह था, जैसा आईएसआईएस ने अमेरिका के खिलाफ किया था। तब इस्लामिक स्टेट ने DIY (डू इट योरसेल्फ) ड्रोन बनाकर उसे अपनी सेना का हिस्सा बनाया। आईएसआईएस के विकसित किए गए ड्रोन तकनीकी कौशल नहीं, बल्कि सरलता पर आधारित थे। उनका असर बेजोड़ था। आईएसआईएस ने जो शुरू किया, आज लगभग एक दशक बाद वह देश की सेनाओं की फ्रंट लाइन को आकार दे रहा है। पाकिस्तान उसी राह पर है।
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