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ग्रहों की गति, जीवन की शुभाशुभ घटनाओं के समय का निर्धारण करने की कुंजी

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ज्योतिष शास्त्र में भविष्यवाणी करने के लिए जन्मकुण्डली में ग्रहों की स्थिति का आधार, ग्रहों के स्वामित्व का आधार, उनके कारकत्व का आधार तथा ग्रहीय मंत्रीमण्डल में उनके पद का आधार लिया जाता है। ग्रहों और नक्षत्रों के द्वारा सांकेतिक विविध देवी-देवताओं को ध्यान में रखकर कष्ट निवारक उपायों को सुझाया जाता है। जन्म कुण्डली सहित प्रश्न कुण्डली, व्यंजन और स्वरों पर भी विचार किया जाता है क्योंकि उन्हें भी ग्रहों का संचालन और स्वामित्व प्राप्त है। सभी समायोजन और जन्मपत्री तथा वर्षफल में बनने वाले शुभाशुभ योग, विभिन्न ग्रहों के माध्यम से अंतः संबंध के आधार पर विभिन्न राशियों में, विभिन्न नक्षत्रों में और उनकी परस्पर युति इत्यादि का अध्ययन कर भविष्यवाणी की जाती है। भचक्र में नक्षत्र स्थित रहते हैं, उनमें कोई गति नहीं होती, ग्रह ही नक्षत्रों में गतिशील रहते हैं। प्रत्येक ग्रह की गति की अपनी एक रफ्तार है, गतियों में भिन्नता होने के कारण सभी ग्रह दूसरे ग्रहों से विविध दृष्टियां स्थापित करते हैं। एक-दूसरे के साथ ये ग्रह, भोगांशीय अंतरालों के माध्यम से, जो दृष्टि संबंध स्थापित करते हैं, उनकी ज्योतिष में अतिविशेष उपयोगिता है। ग्रहों की गति घटनाओं के घटने के समय को जानने में सहायता करती है।
  • सूर्य की गति प्रतिदिन लगभग 1 डिग्री है यानि कि एक राशि में सूर्य को भ्रमण करने में लगभग 1 माह का समय लगता है।
  • चन्द्रमा की गति प्रतिदिन लगभग 13 से 15 डिग्री है यानि कि एक राशि में चन्द्रमा को भ्रमण करने में लगभग सवा दो दिन का समय लगता है।
  • मंगल की गति प्रतिदिन लगभग 30 से 45 मिनट है यानि कि एक राशि में मंगल को भ्रमण करने में लगभग डेढ़ माह का समय लगता है।
  • बुध की गति प्रतिदिन लगभग 65 से 100 मिनट है यानि कि एक राशि में बुध को भ्रमण करने में लगभग 24 दिन का समय लगता है।
  • बृहस्पति की गति प्रतिदिन लगभग 5 से 15 मिनट है यानि कि एक राशि में बृहस्पति को भ्रमण करने में लगभग 1 वर्ष का समय लगता है।
  • शुक्र की गति प्रतिदिन लगभग 62 से 82 मिनट है यानि कि एक राशि में शुक्र को भ्रमण करने में लगभग 25 दिन का समय लगता है।
  • शनि की गति प्रतिदिन लगभग 2 मिनट है यानि कि एक राशि में शनि को भ्रमण करने में लगभग ढाई वर्ष का समय लगता है।
  • छाया ग्रह राहु-केतु की गति प्रतिदिन लगभग 3 मिनट मानी गई है यानि कि एक राशि में छाया ग्रह राहु-केतु को भ्रमण करने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगता है।
सूर्य, चन्द्रमा को छोड़कर अन्य ग्रह समय-समय पर वक्री-मार्गी होने के कारण इस समय अन्तराल को कम या ज्यादा करते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री रहते हैं, वर्तमान में देवगुरु बृहस्पति की अतिचारी गति इसका प्रमाण है। ज्योतिषाचार्य गुंजन वार्ष्णेय, प्रयागराज
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